My Bio

I am Govind Singh and I was born in Barailly (Uttar Pradesh) India. There are eight members in my family and my father's name is Late Shri Doob Lal and my mother's name is Mrs. Laxmi Devi and I have four elder sisters and one younger brother. First, second, third, fourth sister's name are Kiran Singh, Sangeeta Singh, Hira Singh and babita Singh. Childhood has been very well spent, but there have been some difficulties. There has been a lot of struggle in my studies all the time, mother and father used to fight among themselves, I used to feel very bad, I used to be tense many times and wondered whether my life would be like that something would change or there would be something good in my life. And I felt like everyone had a good family, so why is it like me and I tried many times that my family is the best all the time. When I turned 18, I had a lot of responsibility on my shoulders. And they had to get married too. Whatever I used to do in a good house, I used to ask at home, first of all, my father was transferred from Lakhimpur Kheri to Lucknow, after that my life was completely changed because Didi and we all lived together and had a lot of family. Used to have fun At the same time Rista of the third sister came and agreed to get married and what was it, then she got married, she was happy in her in-laws house and we had happiness in our family and Papa's health deteriorated at the time when my fourth sister married He had to die for a long time due to illness and remembered Papa all the time because I felt that I could not save him. I was very sad for this. My fourth sister's wedding dress came and she was not too late and she got married too. She is happy in her house. After 1 and 2 years, I started searching my wrist. I used to die all the time. I am old, I will live till then and I have to get married and I am also married to Varanasi and I have a son who has only gone to mother and I am now searching for a job abroad like Only when my foreign visa comes, I will go abroad.

मैं गोविन्द सिंह हूँ और मेरा जन्म बरैली उत्तर प्रदेश में हुआ है।  मेरे परिवार में आठ मेंबर हैं  व मेरे पिताजी का नाम स्वर्गीय श्री दूब लाल और मेरी माताजी का नाम श्रीमती लक्ष्मी देवी है और मेरी चार बड़ी बहने व मेरा एक छोटा भाई है। बचपन का जीवन बहुत अच्छा व्यतीत हुआ हैं  परन्तु  कुछ कठिनाई भी आती रही है। मेरी पड़ाई में बहुत संघर्ष हुआ है हर समय माँ व् पिताजी आपस में लड़ाई करते थे मुझे बहुत बुरा लगता था मैं कई बार टेंशन रहता था और सोचता था की क्या मेरा जीवन ऐसा ही होगा की कुछ चेंज होगा या मेरे  जीवन में कुछ अच्छा भी होगा और मुझे ऐसा लगता था की सभी के परिवार अच्छे थे तो मेरा ऐसा क्यों है और मेने कई बार कोशिश किया की मेरा परिवार हर समय सबसे अच्छा हो मैं जब 18 साल का हुआ तो मेरे कंधो में काफी जिम्मेदारी थी एक पिताजी एंड माताजी एंड बहने थी और उनकी शादी भी करनी थी अच्छे घर में मैं जो भी करता घर में पूछ कर करता था सबसे पहले लखीमपुर खीरी से लखनऊ पिताजी का ट्रांसफर हो गया उसके बाद मेरी लाइफ बिलकुल चेंज हो गयी थी क्योकि दीदी और हम सब फॅमिली साथ में रहते और खूब मस्ती करते थे। उसी समय तीसरी बहन का रिस्ता आया और शादी करने के लिए तैयार हो गयी और क्या था फिर शादी हो गयी वो ससुराल में खुश हो गयी एंड हम अपने परिवार में हॅपीनेस था और पापा की तबियत उसी समय ख़राब हुई जिस समय मेरी चौथी बहन की शादी होनी थी काफी समय से बीमारी के कारण उनका देहांत हो गया और पापा को हर समय याद करता था क्योंकि मुझे लगता था की मेँ उनको बचा नहीं पाया था इसके लिए मुझे बहुत दुःख था।  मेरी चौथी वाली बहन का शादी का रिस्ता आया और उसने भी देर नहीं किया और उसने भी शादी कर लिया वह अपने घर में खुश है 1 व 2 साल के बाद  भी मेरा रिस्ता सर्च करना शुरू कर दिया मुझे हर समय टोंक मरते थे की मै तो बूढ़ी हो चुकी हूँ मैं तब तक जिन्दा रहूंगी और मेने शादी करने के लिए है कर दिया और मेरी भी शादी वाराणसी से हो गई और मेरा एक बेटा हुआ है वो सिर्फ माँ पे गया है और मै अब विदेश के लिए जॉब सर्च का रहा हूँ  जैसे ही मेरा विदेश का वीसा आ जाता है तो मेँ विदेश चला जाऊंगा। 

Comments

Post a Comment